तुम याद हमें भी कर लेना
जब झूम के उट्ठे सावन तो, तुम याद हमें भी कर लेना जब टूट के बरसे बादल तो, तुम याद हमें भी कर लेना जब रात की पलकों पर कोई ग़मगीन सितारा चमक उठे और दर्द की शिद्दत से दिल भी जब रेज़ां -रेज़ां हो जाए जब छलक उठे बेबात नयन ,तुम याद हमें भी कर लेना पूरे चाँद की रातों को जब हवा चले ठंडी ठंडी और कोई दीवाना पंछी जब चाहत से चाँद को तकता हो उस लम्हे की ख़ामोशी को तुम अल्फ़ाज़ों में बांधो जब और लिखो जब कोई ग़ज़ल, तुम याद हमें भी कर लेना सारी ख़्वाहिश बर आए जब, और दिल ख़्वाहिश से खाली हो सब के बाद जो तेरा दिल , बस चाहत का सवाली हो बेगर्ज़ मोहब्बत की चाहत में, दिल तेरा जब तड़प उट्ठे ये तड़प जो हद से बढ़ जाए ,तुम याद हमें भी कर लेना दिल का भोला बच्चा जब, सबसे बग़ावत कर बैठे तन्हाँ-तन्हाँ , रुठा -रूठा दीवाना बन जाए जब जब दुनिया भर से शिकवा हो और आँख से आंसू बह निकले उस मासूम से लम्हे में तुम याद हमें भी कर लेना
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