मंगलवार, 27 जनवरी 2015

चुटकले

नयी डॉक्टर ने अपनी लाइफ का पहला ऑपरेशन किया !
ऑपरेशन की थोडी देर बाद ही मरीज मर गया !
मरीज के मरने के बाद डॉक्टर ने दीवार पर टांगी भगवान की तस्वीर की और
हाथ जोड़कर सर झुकाते हुए कहा : हे प्रभु मेरी और से यह पहली भेंट स्वीकार कीजिये !



एक चोर अमीर आदमी के घर में चोरी करने गया !
तिजोरी पर लिखा था तिजोरी को तोड़ने की जरूरत नहीं है , 452 नंबर प्रेस करके सामने वाला लाल बटन दबाओ!
जैसे ही बटन दबा अलार्म बजा और पुलिस आ गयी !
जाते जाते चोर सेठ से बोला : आज मेरा इंसानियत से विश्वास उठ गया है !

रिक्शावाला

बी.ए. की परीक्षा पास कर रवि घर में बरसों से बेरोजगार बैठे रहकर जिंदगी गुजारना मुनासिब नहीं समझा। अपने पिता के गुजर जाने के बाद घर की देखरेख की जिम्मेवारी स्वतः उस पर आ गयी थी। घर में एक छोटा भाई था जो नवमी क्लास में एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहा था। एक माँ थी जो थेड़ी बहुत सिलाई-कढ़ाई का काम घर पर रहकर ही कर लिया करती थी। रवि भी कुछ घरों में टयूशन पकड़ रखा था जिससे काम भर रूपये-पैसे का जुगाड़ हो जा रहा था। परंतु इन सब से दिन-ब-दिन बढ़ रही मंहगाई से निजात पाना संभव नहीं दिख रहा था।
    रवि के मन में एक विचार आया कि वह क्यों नहीं बगल के शहर में जाकर जहाँ कि उसके पहचानने वाले नहीं हो टयूशन के साथ-साथ खाली समय में रिक्शा पर यात्रियों को ढोया जाय। टयूशन तो अहले सुबह और फिर शाम ढ़लने पर ही चला करता है। थोड़ी बहुत मेहनत करने से अगर कुछ रूपये घर आ जाते है तो इसमें बुराई क्या है ? फिर घर के खर्च भी तो बढ़ रहे हैं।
    फिर क्या था रवि अपनी योजनानुसार भगवान का नाम लेकर सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर के दो बजे तक अपने किराये के रिक्शे से यात्रियों को ढ़ोना शुरू कर दिया। हर रोज उसे इतने समय में आसानी से पांच-छः पैसेन्जर मिल ही जाते थे जिससे वह बिना ज्यादा थके 100 रूपये तक की कमाई कर लिया करता था। रवि मानसिक रूप से जितना सशक्त था उतना ही शरीरिक रूप से सुगठित। उसे शारीरिक और मानसिक कार्यों के साथ-साथ करने में ज्यादा असहज महसूस नहीं हो रहा था। वह उच्च मनोबल और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला एक नेकदिल इंसान था। वह जीवन की सच्चाई को भलीभांति जानता था।
    इस तरह महीनों बीत गए, सबकुछ मोटामोटी ठीक-ठाक चल रहा था। एक दिन वह चौराहे के बगल में अपनी रिक्शा के साथ किसी यात्री के आने का इंतजार कर रहा था। तभी दो आधुनिक युवतियां जल्दीबाजी करती हुई उसके रिक्शे पर बैठ गई। इससे पहले कि रवि पूछता कि उन्हें कहाँ जाना है, उनलोगों ने ही कहना शुरू कर दिया-जल्दी करो, सूर्या नर्सिंग होम चलना है। क्विक, एकदम जल्दी।
    सूर्या नर्सिंग होम उस चौराहे से चार किलोमीटर की दूरी पर था। रवि उन दोनों को अपने रिक्शे पर बिठा नर्सिंग होम की तरफ धीरे-धीरे अभी चलना ही शुरू किया था कि उसके रिक्शे की चैन उतर गई। वह रिक्शे पर से नीचे उतरा चैन को ठीक कर गंतव्य दिशा की ओर उन्हें लेकर चल पड़ा। अभी आधा किमी चला ही था कि पुनः उसके रिक्शे की चैन नीचे उतर गई। दोनों बैठी युवतियों में से एक ने गुस्से में आकर रवि से कहा-रिक्शा ठीक नही ंतो पैसेंजरों को धोखा नहीं दिया करते। तुम्हें पता है हम कितनी जल्दबाजी में हैं। किसी के जीवन और मौत का सवाल है। कुछ समय बाद अगर हम दोनों वहाँ नहीं पहुंचे तो किसी की जान तक जा सकती है। मेरी माँ नर्सिंग होम में भर्ती है। उसे खून की जरूरत है, वह भी 'एबीप्लस', जल्दी मिलता भी नहीं है। अगर वह आधे घंटे के अंदर उसे नहीं मिला तो मैं अपनी माँ को खो दूंगी। अपनी गाड़ी थी वह भी धोखा दे गयी। आज बाजार में भी बंदी का असर है। वरना तुम जैसे रिकशे वालों को तो मैं पूछती तक नहीं-एक ही सांस में रिक्शे पर बैठी एक युवती कह गई।
    इसी बीच दूसरी युवती जो उस युवती की सहेली थी ने कहना शुरू कर दिया-लगता है आज अपशकुन होकर रहेगा। बंद का होना, गाड़ी का खराब होना, फिर अंतिम सहारा यह रिक्शा वह भी बार-बार उसकी चैन का उतरना। अब की बार रिक्शे की चैन मनाओ की नहीं उतरे वरना तेरी तो ऐसी की तैसी मैं कर दूंगी-पहली युवती ने कहा।
    रवि को लगने लगा कि आखिर किसका मुँह देखकर मैं उठा था जो लोगों की खरीखोटी सुननी पड़ रही है। इससे पहले तो रिक्शे की चैन उतरने की बीमारी नहीं थी। आखिर रिक्शा भी तो छोटी-मोटी मशीन ही है। इस पर तो हमारा उतना भी जोर नहीं। हे भगवान, यह कैसा धर्मसंकट, क्यों मेरी गरीबी और मजबूरी का इम्तिहान ले रहा है। यह सब सोच वह मन ही मन घबरा रहा था। वह अपने चलते रिक्शे को अचानक रोका। विपरीत दिशा से आ रहे खली रिक्शे के चालक को हाथ देना शुरू कर दिया। युवतियों से नहीं रहा गया, एक युवती आपा खोकर बोल बैठी-अब क्या हुआ ? चैन तो ठीक है। फिर क्यों रोकी अपनी रिक्शा को ? बहुत हो गया, नॉनसेंस, इडियट, बिगडैल कहीं के।
    रवि उनकी बातों को अनसुनी करते हुए एक दूसरे रिक्शे को रोक उसपर उन दोनों को सवार कराया और थोड़ी देर तक उनके रिक्शे को नजरों से ओझल होने देने का इंतजार करने लगा। ओझल होते ही वह मन में ढ़ेर सारी बातों को अपने अपने मन में संजोए वह उसी नर्सिंग होम की तरफ जाने वाली सड़क की ओर अकेले ही खाली रिक्शे को ले आगे बढ़ना शुरू कर दिया। उसके खाली रिक्शे को देख बहुत लोग हाथ देते पर वह था कि उनके इशारे को नजरअंदाज कर अपनी ही धुन में रिक्शे के पैंडल को और भी गतिमान करता जाता। मन ही मन मनाता कि उसके रिक्शे की चैन न फिर उतर जाय। मॉजिला टॉवर के ठीक बगल से दायीं ओर जाने वाली सड़क में सूर्या नर्सिंग होम था। उस ओर जाने वाली सड़क की ओर रवि अभी अपने रिक्शे को मोड़ा ही था कि उस रिक्शेवाले से उसकी भेंट हो गयी जो अभी-अभी उन दोनों युवतियों को नर्सिंग होम छोड़कर लौट रहा था। रवि उस रिक्शे वाले को रोक उनके बारे में कुछ जानना चाहा पर उसने साफ-साफ कह उससे कह दिया-उन्हें उतार अपनी सवारी के पैसे लिए और मैं चलता बना। पर तुम्हें उनकी इतनी खास चिंता क्यों ? उसकी बातों पर रवि उससे झूठ बोल गया कि उसके रिक्शे पर उनलोंगो ने कुछ अपना सामान छोड़ दिया था। इतना कुछ होने के बाद रवि जल्दी-जल्दी नर्सिंग होम पहुंचा। अपने रिक्शे को एक किनारे लगा उस नर्सिंग होम के 'इनक्वायरी काउंटर' पर जा पहुंचा। वहाँ पता करने पर उसे यह जानकारी मिली कि अभी-अभी जो दो युवतियां आयीं थीं उनमें से एक जिसका नाम सुनीता था, की माँ को 'एबीप्लस' खून की सख्त जरूरत है। सचमुच अगर इस ग्रुप का खून उन्हें कुछ मिनटों में नहीं मिल पाया तो उसकी जान चली जाएगी। शहर बहुत बड़ा नहीं था। उस शहर में ब्लड बैंक भी नहीं था जहां से कोई व्यक्ति अपने रोगी के लिए मैंचिंग वाला ब्लड खरीद कर ला सकता था।
    रवि दौड़ा-दौड़ा उस नर्सिंग होम के कमरा न. 13 के नजदीक जा पहुंचा। कमरे से धीरे से दस्तक दी तो वही युवती दरवाजा खोल बाहर निकली। रवि की खुशी का ठिकाना ना था। पर उस युवती ने उसे देख आग बबूला हो उसे अपनी औकात में रहने की धमकी तक दे डाली। रवि निश्छल हो उसकी धमकियां को असरहीन हो सुनता रहा और बीच में ही उसे टोककर बोल पड़ा-दीदी ! अभी वक्त बहस या गुस्सा करने का नहीं हैं। अभी वक्त है माँ को खून चढ़ाने का। मेरा ब्लडग्रुप 'एबीप्लस' है। आप मेरे रिक्शे पर गुस्से में ही सही पर माँ की जरूरत वाला खून का ग्रुप बोल गई थीं और यह भी बोल गई थी कि वह ब्लडग्रुप आसानी से नहीं मिलते। मैं उसी वक्त से अपना मन बना लिया था कि मैं भले ही रिक्शावाला सही, मजबूर सही, पर आज खून के चलते माँ को जिंदगी से दूर नहीं होने दूंगा और मैं ढूंढ़ता-ढूंढ़ता आपके सामने खड़ा हूँ।
    तू खून देगा। एक रिक्शावाला। तुम्हारी हिम्मत कि तुम मेरी मजबूरी को भुनाकर मुझे एक रिक्शेवाला का एहसानमंद बनाना चाहता है। चला जा। अभी चला जा वरना मुझे इतनी समझ है कि ऐसे लोगों के साथ क्या किया जाता है ?
    बहनजी यह आप नहीं आपका गुरूर बोलता है। वरना इन मौंकों पर कोई भला किसी को कहां तौलता है। बहनजी, मेरे तन से जब तक खून निकलकर माँ के खून में नहीं जा मिलता है तबतक जो चाहो बोल लो वरना इसी रिक्शेवाने का वह खून जब माँ के खून में जा मिले तो आप क्या डाक्टर भी यह बोल पाने में सक्षम न हो कि कौन सा खून रिक्शेवाले का है और कौन सा माँ का।
    दोनों के बीच बहस जारी ही थी कि नर्सिंग होम की सिस्टर ने रवि...रवि कह कर बुलाना शुरू किया। रवि दौड़ा-दौड़ा उसके पास गया। आपरेशन थियेटर में रवि के ब्लड ग्रुप का तेजी से मिलान कर लेने के बाद उधर सुनीता की माँ को रवि का खून चढ़ाया जा रहा था। कुछ क्षण बाद सुनीता की माँ आराम महसूस कर रही थी। उसे गहरी नींद आने लगी थी। इधर सुनीता माँ के चेहरे पर लौटती आ रही नयी जिंदगी जैसी खुशी से सराबोर हो फूले नहीं समा रही थी। मन ही मन उस रिक्शेवाले के प्रति उपजी दुर्भावना को लेकर प्रायश्चित करने का ठान रही थी और अपने गाल को कुछ देर तक माँ के ंिसर पर रख नये पुराने ख्यालों में खो गई।
    कुछ पल बाद सुनीता अपने में हीन भाव लिए रवि को अपनी गलती का अहसास जताने के लिए ज्योंही उस ओर मुड़ी तो उसने रवि को नहीं पाया। वह वेचैन हो उठी। उसे उसका पता मालूम ना था। वह कम से कम उसे थैंक्स देना चाहती थी। वह रो रोकर, अपनी गलतियों के कारण उपजे दाग को धो देना चाहती थी। पर उस शहर में उस अजनबी अनजान रिक्शावाले को खोजना उतना भी आसान ना था।
    रवि खून देने के बाद उस माँ को मृत्यु के मुँह से छीनने की खुशी में अंदर ही अंदर र्स्व्गिक आनंद महसूस करते हुए बिना सुनीता से उसके बारे में कुछ आगे पूछे तेजी से नर्सिंग होम छोड़ चुका था। उसे अपनी औकात पता थी। उसे शहर से बाहर अपने गाँव जाकर लोगों के यहां टयूशन जो पढ़ाना था। वह भी तब तो और भी जरूरी हो गया था जबकि प्राय सभी स्कूल में परीक्षां का समय था।

गणतांत्रिक शिक्षा

                                     चंद्रेश कुमार छतलानी का आलेख - गणतांत्रिक शिक्षा

आज 26 जनवरी 2015, जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र का राष्ट्रपति बराक ओबामा हमारी ख़ुशी में शामिल होने आयें है, तो एक यह सोच अवश्यम्भावी होनी ही चाहिये कि हमारे अपने देश में इस ख़ुशी में कौन-कौन और क्या-क्या शरीक है| आज ही का दिन है जब यह विचार करने की आवश्यकता है कि कौन हैं जो देश की गणतांत्रिक व्यवस्था का अभिन्न अंग हैं और क्या ऐसी व्यवस्थाएं हैं, प्रक्रियाएं हैं, सेवाएँ हैं, जिम्मेदारी हैं और अधिकार हैं जो गणतांत्रिक हैं? और जो कुछ गणतांत्रिक नहीं है वो यदि भारत का अंग है तो जीवित कैसे हैं? हमारे देश की आधी आबादी पढ़ना-लिखना भी नहीं जानती हो, जिसे जीने का हक भी मुश्किल से हासिल हो रहा हो क्‍या लोकतंत्र में उसकी भागीदारी का कोई अर्थ है ?
हम कहते हैं कि देश की जनता राज करती है सारे देश में गणतंत्र है तो फिर ये “रूलिंग पार्टी” क्या बला है? कहीं ऐसा तो नहीं कि पिछले कई वर्षों से भारतीय लोकतंत्र के नाम पर एक शासन व्‍यवस्‍था राज कर रही है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारे देश में लोकतंत्र का अर्थ केवल वोट देने के कर्तव्य और वोट देने के ही अधिकार से लगाया जाता है, उसके पश्चात एक शासन प्रणाली आ जाती है?
कितने प्रश्न हैं, जिन्हें सुलझाना आवश्यक है, प्रश्न यह भी है कि सुलझाये कौन? इतना शिक्षित कौन है, देश के वो लोग जो केवल मंहगाई का रोना रोते रहते हैं या फिर वो लोग जो किसी न किसी तरह से भ्रष्टाचार कर देश का नुकसान कर रहे हैं? जो बचे हुए हैं वो मौन हैं|
तो मेरे अनुसार, सबसे पहले जो आवश्यकता महसूस की जानी चाहिए वो है गणतंत्र की शिक्षा की, हालाँकि यह दुःख का विषय है लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी गणतंत्र की शिक्षा और शिक्षा में गणतंत्र दोनों की बेहद आवश्यकता है| शिक्षा में शासन पद्धति अपनी मनमानी करती आ रही है, उचित शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री से लगाया जा रहा है या फिर छोटा-मोटा शोध करने से, लेकिन जन-जन की शिक्षा जो जनतांत्रिक हो, उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है| शिक्षा में जब निर्णय लेने का अधिकार जनता को अर्थात सभी हितधारकों (stakeholders) को मिल जायेगा तभी शिक्षा में गणतन्त्र सफल है|
और रही बात गणतंत्र की शिक्षा की, पिछले कई वर्ष तो भारतीय गणतंत्र के नाम पर एक शासन व्‍यवस्‍था के रहे हैं, शासन जो लोकतंत्र के नाम पर राज करता है। हमारे देश में लोकतंत्र का अर्थ केवल वोट देने के कर्तव्य और वोट देने के ही अधिकार से लगाया जाता है| उसके पश्चात एक शासन प्रणाली आ जाती है|
एक ख़ुशी का विषय यह है कि मौजूदा प्रधानमंत्री जन जन को देश की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ने का प्रयत्न कर रहे हैं| E-Governance का नाम उन्होंने Democratic Governance दिया है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल कर दी हैं| My Government परियोजना से जुड़ कर भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी राय दे सकता है| लेकिन यह केवल एक कदम है, अभी मीलों का सफ़र बाकी है|
हमारे समाज के आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक रूपांतरण के लिए एक शांतिपूर्ण क्रांति लाने की क्षमता केवल शिक्षा में ही है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित न रह जाए। इसमे सड़ी गली रूढि़यों और सामाजिक विषमता को उखाड़ फेंकने की ताकत भी होनी चाहिए।
1986 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय (अमेरिका) में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि ‘‘मैं नहीं समझता कि साक्षरता लोकतंत्र की कुंजी है, हमने देखा है, और मैं सिर्फ भारत की ही बात नहीं कर रहा हूं, कि कभी-कभी साक्षरता दृष्टि को संकुचित बना देती है, उसे विस्तृत नहीं बनाती।’’ यह हमारे देश की शिक्षा का हाल किसी न किसी तरह बयाँ कर ही रहा है, उचित शिक्षा की आवश्यकता तब भी राजीव गांधी ने अनुभव की थी और आज नरेंद्र मोदी भी कर रहे हैं|
सच तो यही है कि शिक्षा गणतांत्रिक हो और शिक्षा गणतंत्र को मज़बूत करे तभी वो सार्थक शिक्षा है| सार्थक शिक्षा के सभी पहलुओं पर ध्यान देने के महती आवश्यकता है और इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है गणतंत्र की शिक्षा जो केवल सैद्धांतिक ही नहीं हो वरन व्यवहारिक भी हो| उसके पश्चात यह कहते हुए सच्ची ख़ुशी का अनुभव होगा – “मेरा गणतंत्र महान”|
- चंद्रेश कुमार छतलानी


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पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गयी है

                                                                                          

पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी , फिल्मी सितारों अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस साल पद्म विभूषण के लिए चुना गया है , जो नौ हस्तियों में से एक हैं ।

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी , संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, वकील हरीश साल्वे , माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा सहित 20 हस्तियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।
फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली , पटकथा लेखक प्रसून जोशी , बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और महिला क्रिकेटर मिताली राज पद्म श्री के लिए चयनित किया गया है , जो 75 हस्तियों में से एक हैं ।
पुरस्कार गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर वर्ष कला , सामाजिक कार्य , सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और इंजीनियरिंग , व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल सहित विभिन्न विषयों में दिए गए हैं

रविवार, 18 जनवरी 2015

मुंबई मेराथन (MUMBAI MARATHON)

रन मुंबई रन

घुमर, पणिहारी या फिर मोरियो, यदि आप राजस्थानी गीतों को सुनने के मूड में है!

राजस्थानी गीत संगीत - गानें यहाँ सुने.

>> म्यूजिक  ढाबा

http://www.musicdhaba.com

 

यहाँ  आपको निम्न सभी राजस्थानी एलबम मिल जायेंगे.

  1. घुमर (१ से 4) (Ghumar Songs)

  2. पणिहारी (Panihari Songs)

  3. चूड़ी  चमके (Chudi Chamke Songs)

  4. सुरंगों  राजस्थान(Surango Rajasthan)

  5. धरती धोरां री (Dharti Dhora Ri)

  6. गणगौर गीत (Gangaur Songs)

  7.  राजस्थानी लोक भजन (Rajasthani Bhajan)

  8. जंवाई जी पावनां

  9. पल्लो  लटके

  10. बाई सा रा बीरा

  11. विवाह  गीत (Rajasthani Shadi Songs)

  12. सावन आयो रे.

  13. जय बाबा रामदेव (Jai Baba Ramdev Songs)

  14. कुवै पर एकली ( Kuvai par ekali )

  15.  ओढनी -फाल्गुनी पाठक ( Odhani by Falguni Pathak)

  16. रंगीलो राजस्थान ( Rangeelo Rajasthan)

  17. होली गीत (Holi Geet)

  18. बाबा रामदेव भजन (Baba Ramdev Bhajan)

  19. बैरी बिछुडो (Beri Bichchudo)

  20. केसरिया बालम (Kesariya Balam)

  21. डांडिया गीत (Dandeeya Geet)

  22. म्हारी तीतरी (Mhari Titari)

  23. डीजे पर नाचूं सारी रत साजना

  24. बाई चाली सासरिये (Bai chali Sasriye)

इत्यादि सेकडों  राजस्थानी एलबम सुनने को मिलेंगे.

ाक्या आप मोबाइल म अभी भी कबोड से ह िलख रहे ह ?

क्या आप मोबाइल में अभी भी कीबोर्ड से ही लि‍ख रहे हैं ?

एंड्रॉयड आधारि‍त कि‍सी भी स्‍मार्टफ़ोन और टैबलेट में कीबोर्ड से लि‍खने की आवश्‍यकता अब लगभग समाप्‍त ही हो चली है. अब लि‍खने के बजाय आप बोल कर सीधे ही टाइप कर सकते हैं या फि‍र स्क्रीन पर अंगुली से भी लि‍ख सकते हैं. यदि‍ स्‍क्रीन छोटा है और अंगुली से लि‍खने में असुवि‍धा  होती है तो आप स्‍टाइलस का प्रयोग भी कर सकते हैं. स्‍टाइलस, कई ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्‍ध हैं और बहुत सस्‍ते हैं लेकि‍न इन्‍हें रखना-संभालना भी अपने आप में ही एक काम है इसलि‍ए बेहतर है कि‍ आप अंगुली से ही लि‍खने का कुछ अभ्‍यास कर लें. ये सुवि‍धाएं हिंदी,  अंग्रेज़ी व अन्‍य कई भाषाओं के लि‍ए मुफ़्त उपलब्‍ध हैं.

हिंदी में लि‍खना

इसके लि‍ए आप ‘GoogleHindi Input’ (गूगल हिंदी इनपुट) का मुफ़्त संस्‍करण, ‘गूगल प्‍ले स्‍टोर’ से डाउनलोड कर सकते हैं. इसमें आपको हिंदी और अंग्रेज़ी के कीबोर्ड तो मि‍लेंगे ही, हस्तलि‍पि‍ को अक्षरों में बदलने वाला वि‍कल्‍प भी मि‍लेगा. नि‍म्‍न चि‍त्र में दर्शाए गए स्‍क्रीन के अनुसार आप जो शब्‍द अंगुली से लि‍खेंगे वे स्‍वत: टंकि‍त शब्‍दों में परि‍वर्ति‍त होते चले जाएंगे. इसमें आपको वर्ड प्रैडि‍क्‍शन की भी सुवि‍धा मि‍लती है. आपको दो बातें वि‍शेषत: ध्‍यान रखनी होंगी, कि‍ कि‍सी भी शब्‍द के ऊपर खींची जाने वाले रेखा आप पहले खींच लें, फि‍र उसके नीचे लि‍खें. या फि‍र, शब्‍दों के  ऊपर वाली रेखा का प्रयोग न करें. ऐसा करने से सि‍स्‍टम, इन शब्‍दों को आसानी से पढ़ लेता है. बाद में रेखा लगाने से, सि‍स्‍टम को सही शब्‍द टाइप करने में कुछ कठि‍नाई होती है.
 
 अंग्रेज़ी में लि‍खना

इसी प्रकार, अंग्रेज़ी में लि‍खने के लि‍ए ‘MyScript Stylus’ (माइस्‍क्रि‍प्‍ट स्‍टाइलस) का मुफ़्त संस्‍करण, ‘गूगल प्‍ले स्‍टोर’ से डाउनलोड कर सकते हैं. यह बीटा संस्‍करण है संतोषजनक काम कर रहा है. बहुत लंबे-लंबे वाक्‍य लि‍खने पर यद्यपि‍ यह कुछ धीमा हो सकता है.


बोल कर टाइप करना
एंड्रायड की गूगल आधारि‍त एक सुवि‍धा यह भी है कि‍ आप अंग्रेज़ी के अति‍रि‍क्‍त  हिंदी व अन्‍य भाषाओं में भी बोल कर टाइप कर सकते हैं. इसकी सीमा अभी यह है कि‍ आपको ऑनलाइन होना आवश्‍यक है. फोन/टैबलेट में यह सुवि‍धा नि‍म्‍न क्रम से प्रारम्‍भ की जा सकती है:-  सि‍स्‍टम सेटिंग्स > लेंगुएज एंड इनपुट >  गूगल वॉयस टाइपिंग. इसके बाद आप ‘गूगल वॉयस टाइपिंग’ के सैटिंग्‍स बटन को दबाएं तो नया मीनू आएगा. जि‍समें सबसे ऊपर ‘भाषा’ (Language) के अंतर्गत, हिंदी या अंग्रेज़ी लि‍खा होगा. आप इससे अपनी सुवि‍धानुसार भषा चुन  सकते हैं. आवश्‍यकतानुसार अन्‍य भाषा आप यहीं से जोड़ सकते हैं. बेहतर यह होगा कि‍ आप इस जगह एक ही भाषा का वि‍कल्‍प चुनें. एक से अधि‍क भाषा रखने पर सि‍स्‍टम कभी-कभी ठीक से कार्य नहीं करता है. इससे आप फ़ेसबुक, डाक्‍यूमेंट इत्‍यादि‍ में कहीं भी, बोल कर टाइप कर सकते हैं.   
आप कि‍सी भी कीबोर्ड पर बने माइक के नि‍शान को दबाकर वॉयस टाइपिंग शुरू कर सकते हैं. और ग़लति‍यों को कीबोर्ड की मदद से ठीक कर सकते हैं. नीचे के चि‍त्र में Swiftkey(स्‍वि‍फ्टकी) दर्शाया गया है. यह भी ‘गूगल प्‍ले स्‍टोर’ पर मुफ़्त उपलब्ध है.


इसके अति‍रि‍क्‍त, आप कीबोर्ड पर अंगुली उठाए बि‍ना भी शब्‍द लि‍ख सकते हैं, बस आपको व्‍यंजनों पर अपनी अंगुली बि‍ना उठाए चलानी होगी, जैसा कि‍ दाहि‍नी ओर के चि‍त्र में दि‍खाया गया है. हिंदी में यह सुवि‍धा स्‍वि‍फ़्टकी में, एवं अंग्रेज़ी में यह सुवि‍धा स्‍वि‍फ़्टकी के अति‍रि‍क्‍त गूगल कीबोर्ड में भी उपलब्‍ध है.

तूुमयाद हम भी कर लेना


                                                तुम याद हमें भी कर लेना
जब झूम के उट्ठे सावन तो, तुम याद हमें भी कर लेना जब टूट के बरसे बादल तो, तुम याद हमें भी कर लेना जब रात की पलकों पर कोई ग़मगीन सितारा चमक उठे और दर्द की शिद्दत से दिल भी जब रेज़ां -रेज़ां हो जाए जब छलक उठे बेबात नयन ,तुम याद हमें भी कर लेना पूरे चाँद की रातों को जब हवा चले ठंडी ठंडी और कोई दीवाना पंछी जब चाहत से चाँद को तकता हो उस लम्हे की ख़ामोशी को तुम अल्फ़ाज़ों में बांधो जब और लिखो जब कोई ग़ज़ल, तुम याद हमें भी कर लेना सारी ख़्वाहिश बर आए जब, और दिल ख़्वाहिश से खाली हो सब के बाद जो तेरा दिल , बस चाहत का सवाली हो बेगर्ज़ मोहब्बत की चाहत में, दिल तेरा जब तड़प उट्ठे ये तड़प जो हद से बढ़ जाए ,तुम याद हमें भी कर लेना दिल का भोला बच्चा जब, सबसे बग़ावत कर बैठे तन्हाँ-तन्हाँ , रुठा -रूठा दीवाना बन जाए जब जब दुनिया भर से शिकवा हो और आँख से आंसू बह निकले उस मासूम से लम्हे में तुम याद हमें भी कर लेना

BARMER NEWS TRACK: वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है आधार कार्ड

BARMER NEWS TRACK: वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है आधार कार्ड: समय मिली रसीद की जानकारी देनी होगी। केंद्र सरकार ने (eaadhaar.uidai.gov.in) ईआधार डॉट यूआईडीएआई डॉट जीओवी डॉट इन पर कार्ड को डाउनलोड करने क...

!!! मारवाड़ी हंताई !!! ढोला-मारू मारवाड़ की शान..तो जी आप तो सुन्यो ही हुलो आ को नाम...नहीं सुन्यो तो अब म्हे बता देऊ आपने आंके बारा में...ढोला हर मर्वन राजस्थान में नायक अर नायिका के नाम सु प्रसिद्ध है..आंकी प्रेम गाथा तो लगभग सगळा ने ही था हुवे है....राजस्थान के मायने आंकी प्रेम कहानी गाई जावे है....ल्यो आपने भी सुना दयु......एक गीत जको मन्ने घनु भलो लागे है...... "ढोला-मरवन पग चरना री चेरी थारी जी....थे बेगा ही सुध लीज्यो पाछा आकर म्हारी जी...के मरवन होगी थारी जी....ढोला ओ ढोला..... चेरी मत बोलो जीवन-जेवड़ी होगी म्हारी जी...पल-भर भी याद न भूलेगी,इब मरवन थारी जी..के मरवन होगी म्हारी जी...मरवन ओ मरवन ....." आल्यो जी म्हे तो ढोला-मारू के गाना में खोके आ भी बताणु भूलगी के म्हे ओ ब्लॉग क्याने बनायो हो....ढोला-मारू की बाता आपां पछे करस्या, पेली म्हे ब्लॉग की जानकारी दे दयु..म्हारा मारवाड़ी प्रेम ने देख के म्हारा जानकार मन्ने सलाह दी ही के में मारवाड़ी को ब्लॉग भी बना दयु...क्योकि मारवाड़ी का घना ही कम ब्लॉग है हाल ताई...और लोगा ने चोखो लागे है मारवाड़ी में बात करणु...मारवाड़ी गाना...मारवाड़ी हंताया....तो अथे म्हे करसु आप सु मारवाड़ी की बाता...जे थाने भी मारवाड़ी से अत्तो ही प्रेम है,तो आता रिज्यो जी म्हारा ब्लॉग ने निहारबा ने...आपको घनु-घनु स्वागत है अट्ठे...बेगा ही पधारज्यो...मन्ने उडीक रेसी.....जय राम जी की.....!!!!
!!! केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश..!!! मारुधर थारे देश में, ओ जी निपजे तीन रतन.. एक ढोलों , दूजी मारुणी, तीजो कसुमो रंग.. १) केशरिया बालम ,आओ सा, पधारो म्हारे देश.. आओ सा म्हारे देश, ओ पधारो म्हारे देश.. रूपा का राजा, आओ सा पधारो म्हारे देश .. केशरिया बालम, आओ सा, पधारो म्हारे देश.. लोग मुख देखे चाँद को, में मुख देखूं तोय, तुम्ही हमारे चाँद हो, मुख देख्या सुख होय, रे पधारो म्हारे देश...आओ म्हारे देश... केशरिया बालम, आओ सा पधारो म्हारे देश.. भूपन में सब भूप हुआ, सब भूपन में सरताज करोड जुगा तक राज़ करो, घणी खम्मा महाराज. रे पधारो म्हारे देश..आओ म्हारे देश.. केशरिया बालम, आओ सा, पधारो म्हारे देश.. चाल घोडा, ऊंटा वालो,दिन थोडो घर दूर, काग उड़ावे कामणी, जोबन में भरपूर, रे काई थाणे प्यारो लागे परदेश .. ओ पधारो म्हारे देश.आओ म्हारे देश.. केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश.. साजन आया हे सखी, तो काई मनवार करू, थाल भरियो गज मोतिया, में ऊपर नैन धरु.. रे पधारो म्हारे देश..आओ म्हारे देश.. केशरिया बालम, आओ सा पधारो म्हारे देश.. रे मनभारिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश.. केशरिया बालम आओ सा, पधारो म्हारे देश.. २) केशरिया बालम आओ नी सा, पधारो म्हारे देश.. आओ म्हारे देश जी , ऐ पधारो म्हारे देश में.. पिया प्यारी रा ढोला जी, आओ नी, पधारो म्हारे देश.. आपने काई प्यारो लागे परदेश..मद्सखिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश.. अरे काजल रो कांटो लागो रे, तो मेहंदी लागी फांस, दोए नैना ऐसे लागे, तपगी बारहों मास, आओ म्हारे देश.. पिया प्यारी रा ढोला जी सा , आओ नी सा पधारो म्हारे देश.. एडो काई प्यारो लागे परदेश..केशरिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश.. केशरियो बन डो बनाव सा, तुर्री और कटार, इन केशरिये उपरा रे, हीरा वारू हज़ार, पधारो म्हारे देश ने.. पिया प्यारी रा ढोला जी सा , आओ नी सा पधारो म्हारे देश.. एडो काई प्यारो लागे परदेश..केशरिया बालम आओ नी..पधारो म्हारे देश.. केशरिया बालम आओ नी सा, पधारो म्हारे देश जी..

BARMER NEWS TRACK: बिठुजा में रासायनिक प्रदुषण से बंजर हो रहे खेत

BARMER NEWS TRACK: बिठुजा में रासायनिक प्रदुषण से बंजर हो रहे खेत: बिठुजा में रासायनिक प्रदुषण से बंजर हो रहे खेत ओम प्रकाश सोनी  बाड़म्ेार। जिले के बालोतरा उपखंड के बिठुजा इलाके में लंबे समय से ...

गुरुवार, 15 जनवरी 2015

राजस्थानी चुटकले ।।

एक जाट फिल्म देख कर आयो! फिल्म मैं डायलोग, हीरो कवे हिरोइन स्यूं :मेरी आँखों मैं क्या है! जणा हिरोइन कवे : प्यार ही प्यार ! जाट घरे जायेन जाटणी ने पुछ्यो: मेरी आख्याँ में के है ! जाटणी बोली : गीड ही गीड है